क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर किसी जरूरी या शुभ काम को करने के लिए ऑड नंबर क्यों करते हैं। अगर शुभ काम जैसे भगवान की आरती करना, मंदिर का परिक्रमा करना या फिर शादी विवाह में कोई सामान देना हो इत्यादि। इसके अलावा बात चाहे सृष्टि के कर्ता-धर्ता त्रिदेवों की हो। फिर इसके बावजूद ऑड नंबर को अशुभ क्यों माना जाना जाता है। इस आर्टिकल में आज हम आपको 3 नंबर के अशुभ मनाने के पीछे की वजह बताने जा रहे हैं।
आखिर क्यों 3 नंबर को माना जाता अशुभ?
चीन, जापान और भारत सहित कई पूर्वी संस्कृतियों में, संख्या 3 को विभिन्न ऐतिहासिक, रिलीजियम और लैंग्वेज कारणों से अशुभ माना जाता है। प्राचीन चीनी संस्कृति में नंबर 3 सैन की अवधारणा का प्रतिनिधित्व करती है, जो परिवर्तन, अस्थिरता और अस्थायित्व से जुड़ी है। बौद्ध धर्म में, संख्या 3 को दुख की तीन जड़ से जोड़ा जाता है, जो लालच, घृणा और भ्रम हैं। इसकी वजह से 3 को एक अशुभ संख्या माना गया है। वहीं कुछ एशियाई भाषाओं में, "तीन" शब्द का मतलब "मृत्यु" या "अंतिम संस्कार" के समान माना गया है।
इस संयोग के कारण संख्या 3 को अशुभ माना जा सकता है। संस्कृतियों में, संख्या 3 को नकारात्मक घटनाओं या अनुभवों से जुड़ा माना जाता है, जैसे - जापान में संख्या 3 को तीन आपदाओं की अवधारणा से जोड़ा जाता है। वहीं भारत में, संख्या 3 को "त्रिमूर्ति" या ब्रह्मांड के तीन प्राथमिक पहलुओं (सृजन, संरक्षण और विनाश) से जोड़ा जाता है, जिसे जीवन और मृत्यु के चक्र की याद दिलाने के रूप में देखा जा सकता है।