16वीं शताब्दी में सिकंदर लोदी के शासनकाल में मोठ की मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इसे मस्जिद को दिल्ली के प्रमुख धार्मिक और स्थापत्य स्मारकों में गिना जाता है। बता दें कि मस्जिद का निर्माण प्रमुख सूफी संत शेख वजीह-उद्दीन के आदेश पर कराया गया था। यह मस्जिद अपने समय की वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए मशहूर थी।
इस मस्जिद को कहा जाता है मोठ मस्जिद
भारत के दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है। मस्जिद का नाम "मोठ" उर्दू शब्द "दाल" या "पल्स" से लिया गया है, जो मस्जिद के छोटे आकार को दर्शाता है। नाम के पीछे की कहानी यह है कि मस्जिद का निर्माण एक मुस्लिम संत बख्तियार खान द्वारा जुटाए गए धन से किया गया था, जिन्होंने बाजार में मोठ (दाल) बेचकर पैसे इकट्ठा किए थे। स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिद बनाने के संत की भक्ति और दृढ़ संकल्प ने लोगों को इस उद्देश्य में योगदान देने के लिए प्रेरित किया और आखिरकार मस्जिद का निर्माण किया गया।
वहीं इसके लिए एक और कहानी है कि मस्जिद का निर्माण उस भूमि के टुकड़े पर किया गया था।, जहां पर पहले मोठ (दाल) उगाने के लिए किया जाता था, इसलिए इसका नाम "मोठ की मस्जिद" पड़ा। मोठ की मस्जिद दिल्ली में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो अपनी खूबसूरत वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है। यह शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके लोगों के जीवन में आस्था के महत्व का प्रमाण है।