बारिश की पहली बूंद के जमीन पर पड़ते ही एक भिनी और सौंधी सी महक आती है, जिसकी ओर हम न चाहते हुए भी आकर्षित हो जाते हैं। यह खुशबू हमें ताजगी और नेचर की ओर खींचती है। साहित्य में इस शब्द का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर ऐसा क्यों होता है। चलिए बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है।
बारिश के बाद मिट्टी और दीवारों से आने वाली खुशबू को साइंटिफिक नाम ‘पेट्रीकोर’है। यह नाम साल 1960 के दशक में दो ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने नाम दिया था। यह महक धरती के नम होने की वजह से आती है।
कहां से आया पेट्रीकोर?
साल 1964 में ऑस्ट्रेलियाई साइंटिस्ट्स इसाबेल जॉय बियर और रिचर्ड ग्रेनफेल थॉमस ने ‘पेट्रीकोर’ शब्द की खोज की थी। ‘पेट्रीकोर’ ग्रीक शब्द ‘पेट्रोस’ और ‘इचोर’से मिलकर बना है। ‘पेट्रोस’ का अर्थ ‘पत्थर’और ‘इचोर’का मतलब ग्रीक पौराणिक कथाओं में देवताओं की नसों में बहने वाले तरल पदार्थ के लिया गया है। यह शब्द धरती और हवा के बीच के संबंध पर जोर देने के लिए गढ़ा गया, जो बारिश के दौरान खुशबू के निकलने के लिए जिम्मेदार है।
बारिश की खुशबू क्यों लगती है अच्छी?
बायोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल अक्सर इंसान दोनों वजहों से बारिश का आनंद लेते हैं। कुछ साइंटिस्ट्स का मानना है कि बारिश सूखे के अंत और ताजे पानी की मौजूदगी का इशारा करती है।